केंद्र सरकार का बड़ा फैसला जनता के असंतोष के कारण पेट्रोल डीजल की कीमतों में आई गिरावट, बीजेपी शासित राज्यों में आयी गिरावट अब विपक्षी पार्टीयों की आई बारी: रिंकू पंडित KTG समाचार शिवपुरी एमपी
नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। पेट्रोल एवं डीजल पर उत्पाद शुल्क कम करने के केंद्र सरकार के फैसले के बाद सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के शासन वाले राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में स्थानीय बिक्री कर वैट भी कम कर दिए जाने से इन राज्यों में पेट्रोल की कीमतों में 8.7 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमतों में 9.52 रुपये प्रति लीटर तक की अतिरिक्त कमी हुई है। पेट्रोलियम उत्पादों के दाम बेतहाशा बढऩे से देश की बड़ी आबादी में व्याप्त असंतोष को देखते हुए केंद्र सरकार ने गत बुधवार को इन पर लागू उत्पाद शुल्क में कटौती की घोषणा की थी।
उसके फौरन बाद भाजपा-शासित राज्यों ने भी स्थानीय वैट की दरों में कटौती कर दी है। इसके बाद देश के 22 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में पेट्रोल एवं डीजल के दाम में अलग-अलग स्तर की कटौती देखी गई है। हालांकि महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और दिल्ली जैसे गैर-भाजपा शासित राज्यों ने स्थानीय शुल्क में अभी कटौती नहीं की है। उत्तराखंड में राज्य सरकार के स्तर पर की गई शुल्क कटौती सबसे कम है जबकि केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में यह अधिकतम है। पेट्रोल पर उत्तराखंड ने वैट में प्रति लीटर 1.97 रुपये की कटौती की है जबकि लद्दाख में 8.97 रुपये की कटौती हुई है। डीजल के मामले में उत्तराखंड ने वैट में 17.5 रुपये प्रति लीटर की कटौती की है जबकि लद्दाख में यह 9.52 रुपये प्रति लीटर है।
पेट्रोलियम उत्पादों पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क घटने के बाद स्थानीय वैट कम करने वाले राज्यों और केंद्र शासित प्रदशों में कर्नाटक, पुडुचेरी, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, नगालैंड, त्रिपुरा, असम, सिक्किम, बिहार, मध्य प्रदेश, गोवा, गुजरात, दादरा एवं नागर हवेली, दमन एवं दीव, चंडीगढ़, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश एवं लद्दाख शामिल हैं। वैट कटौती की वजह से कर्नाटक में पेट्रोल पर 8.62 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 9.40 रुपये प्रति लीटर की कटौती हुई है। वहीं मध्य प्रदेश ने पेट्रोल पर 6.89 रुपये और डीजल पर 6.96 रुपये प्रति लीटर की राहत दी है। उत्तर प्रदेश ने पेट्रोल पर वैट शुल्क में 6.96 और डीजल पर शुल्क में 2.04 रुपये प्रति लीटर की कटौती की है। स्थानीय बिक्री कर में कमी न करने वाले राज्यों में राजस्थान, पंजाब, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, झारखंड, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, केरल, दिल्ली, ओडिशा, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश शामिल हैं। इन सभी राज्यों में गैर-भाजपाई दलों की सरकारें हैं।
स्थानीय वैट शुल्क न सिर्फ पेट्रोल-डीजल की आधार कीमतों बल्कि केंद्रीय उत्पाद शुल्क पर भी निर्भर करता है। इस वजह से पेट्रोल एवं डीजल पर उत्पाद शुल्क कम करने के फैसले का विभिन्न राज्यों में प्रभावी असर अलग-अलग रहा। जिन राज्यों में पेट्रोल-डीजल पर ज्यादा वैट वसूला जाता था, वहां पर यह असर कहीं ज्यादा रहा। दिल्ली में पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 6.07 रुपये और डीजल पर 11.75 रुपये प्रति लीटर कम हो गया। शुल्कों में कटौती के बाद अब सबसे महंगा पेट्रोल राजस्थान के जयपुर में 111.10 रुपये प्रति लीटर के भाव पर है जिसके बाद मुंबई (109.98) और आंध्र प्रदेश (109.05) का स्थान है। दूसरी तरफ अधिकांश भाजपा-शासित राज्यों में पेट्रोल के दाम 100 रुपये प्रति लीटर से नीचे आ गए हैं। हालांकि मध्य प्रदेश में यह 107.23 रुपये और बिहार में 105.90 रुपये प्रति लीटर के स्तर पर है।
इसी तरह सबसे महंगा डीजल भी राजस्थान के जयपुर में 95.71 रुपये प्रति लीटर पर बिक रहा है। आंध्र प्रदेश में डीजल का दाम 95.18 रुपये और मुंबई में 94.14 रुपये प्रति लीटर है। वहीं मिजोरम में 79.55 रुपये प्रति लीटर के भाव के साथ सबसे सस्ता डीजल मिल रहा है। दिल्ली में पेट्रोल का भाव 103.97 रुपये और डीजल का भाव 86.67 रुपये प्रति लीटर है। राज्यों में वैट शुल्क की अलग-अलग दरें होने से पेट्रोल-डीजल के दामों में यह अंतर देखा जा रहा है। उत्पाद शुल्क में बुधवार को की गई कटौती अब तक की सबसे बड़ी कटौती है। इसके साथ ही मार्च 2020 एवं मई 2020 के बीच पेट्रोल एवं डीजल पर प्रति लीटर बढ़ाए गए क्रमश: 13 रुपये एवं 16 रुपये कर की एक तरह से वापसी हो गई है। शुल्क कटौती से पहले पेट्रोल 100 रुपये प्रति लीटर के पार पहुंच गया था और डीजल ने भी कई राज्यों में यह आंकड़ा छू लिया था।