एयरपोर्ट बनने की खबर से रातो रात जमीन की कीमत दस गुना बड़ी

देवास जिले के चापड़ा के पास पितावली गांव यह बनने वाले इंटरनेशनल एयरपोर्ट का केंद्र है यहां रहने वाले 210 परिवार पिछले कुछ महीनों से मुसीबत में हैं। उन्हें पता है कि जल्द ही वे अपनी जमीन-घर-खेत से उजाड़ दिए जाएंगे। वह भी सरकारी शर्तों पर। मामूली मुआवजा देकर। उजड़ने के इस दर्द को वे झेल ही रहे थे कि असमंजस का दर्द भी उनके हिस्से में आ गया कि शायद यह एयरपोर्ट कहीं और बनेगा। अब नया दर्द ये कि उजड़ेंगे या नहीं। उजड़ेंगे तो कब। नहीं उजड़ेंगे, तो कब पता चलेगा

एयरपोर्ट बनने की खबर से रातो रात जमीन की कीमत दस गुना बड़ी

       KTG समाचार आरिफ खान देवास मध्यप्रदेश

देवास जिले के चापड़ा के आसपास ऐसे कुल 12 गांव हैं, जिनकी थोड़ी या ज्यादा जमीन इस ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट की जद में आनी है, अगर ये बना तो। क्योंकि बनेगा या नहीं इसका जवाब अभी किसी के पास नहीं। सर्वे हुआ था। प्रस्ताव भी बना, लेकिन अभी तो अटका है। नया मामला ये है कि दो और जगह सर्वे होगा। तीन में से कोई एक जगह फाइनल होगी। पितावली और आसपास हमने जो देखा, वह जमीन के जादूगरों का कमाल था।

एयरपोर्ट के नक्शे के इर्दगिर्द जो भी जमीन थी, वह रातोंरात 10 गुना तक महंगी हो गई

गांववालों के मुताबिक हाटपीपल्या, चापड़ा और बागली में जिस जमीन के लिए रात को 400 से 500 रु वर्गफीट में सौदा होने की बात चलती, सुबह तक वही जमीन 600 रु वर्गफीट हो जाती।

कर्मचारियों के अनुसार इतनी रजिस्ट्री 10 बरस पहले पूरे महीने में भी नहीं होती थी। चार महीने में यहां 1500 से ज्यादा जमीनों के सौदे हो गए। महंगी होती जमीन के खरीदार कुछ तो इन्हीं 12 गांव के लोग हैं, जो अपना घर बसाने के लिए नई जमीन तलाश रहे हैं। बाकी इंदौर से लेकर देशभर से पहुंचे निवेशक हैं, जिन्हें उम्मीद है कि एयरपोर्ट बनते ही यह जमीन सोना उगलेगी।

दरअसल, कहानी ये है कि इसी साल अप्रैल में सर्वे शुरू हुआ, तो गांववालों ने पूछा क्या हो रहा। पता चला कि देश का सबसे बड़ा ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट यहां बनने वाला है। एयरपोर्ट अथॉरिटी ने वायु की दिशा आदि का टेक्निकल सर्वे कर जगह को उपयुक्त बता दिया है।

खबरें हवा की तरह फैली और लोग MPIDC से नक्शे निकाल लाए। 12 गांव जद में थे यानी 2100 हेक्टेयर जमीन पर बनना था एयरपोर्ट। 9750 की आबादी। इंदौर से 46 किमी यानी आधा घंटा और भोपाल से 132 किलोमीटर यानी डेढ़ घंटा दूर। पास ही इंदौर-बैतूल हाईवे और रेलवे लाइन भी बिछ रही है यानी कनेक्टिविटी पक्की थी। इंदौर में बैठे MPIDC के अफसर रोहन सक्सेना बताते रहे हैं कि यह अभी सिर्फ प्रस्ताव है। सरकार ही आगे सब कुछ तय करेगी, लेकिन जमीन की कीमतें हवा में उड़ने लगीं।

इधर, 12 गांव पितावली, रसलखेड़ी, गुरैया, खजुरियाबिना, उदयपुर, मऊखेड़ा, देवपिपल्या, अमरपुरा, पिपल्यासाहब, बिलावली, लसूडियालाइ, लालीपिपल्या के ग्रामीण भी इंदौर पहुंचे। इस उम्मीद में कि साहब बलिदान देंगे तो मुआवजा ही ठीक मिल जाए। किसान संघ के माखन नाहर बताते हैं कि सबकी जमीन जाएगी। हम नहीं चाहते कि ऐसा विकास हो।अकेली यही मुश्किल नहीं। हाटपीपल्या-देवास बागली में विशेष निवेश क्षेत्र का भी प्लान है। उसमें भी देवास के 36 और हाटपीपल्या के 24 गांवों की थोड़ी जमीन ली जानी है। यह लैंड पुलिंग आधार पर होगा। यानी विकास की यह कहानी बड़े उजाड़ की कहानी भी कहलाएगी। यह डर उन्हें सताए जा रहा है। हालांकि चापड़ा के पास भी तीन तरह के प्रस्ताव भेजे गए थे। यदि उनमें से कोई मंजूर हुआ, तो भी अभी जिस आधार पर जमीनें बेची-खरीदी जा रही हैं, उसमें काफी फर्क आएगा।दरअसल, अभी तक तो एक ही प्रस्ताव था। चापड़ा के पास ही यह एयरपोर्ट बनाया जाना था। हालांकि कुछ साल पहले आष्टा के पास इस तरह के कार्गो एयरपोर्ट की बात चली थी। तब वहां भी इसी तरह जमीनों के वारे-न्यारे होने के बाद प्लान कैंसिल हो गया था। अब अफसर बताते हैं कि चापड़ा के पास इस एयरपोर्ट के साथ केंद्र सरकार ने दो और जगह के प्रस्ताव मांगे हैं, ताकि किसी एक जगह का चयन किया जा सके। इंदौर के पास देपालपुर और पीथमपुर के पास दिग्ठान के आसपास सर्वे करने की बात की जा रही है।उज्जैन सांसद अनिल फिरोजिया का कहना है कि महाकाल लोक बनने के बाद उज्जैन में जिस तरह ट्रैफिक बढ़ा है, उसके लिए उज्जैन में अलग एयरपोर्ट बनाना जरूरी है। या फिर यहीं आसपास इंटरनेशनल एयरपोर्ट बने तो सहूलियत होगी। हम इसके लिए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से बात कर रहे हैं। दूसरी तरफ इंदौर के सांसद भी अपने यहां कहीं बनाने के लिए प्रयासरत रहेंगे ही। सवाल ये है कि जिस तरह चापड़ा के पास जमीनों का बड़ा खेल हुआ वैसा देपालपुर और दिग्ठान के पास भी शुरू होगा। आखिर, इसे रोकने का क्या उपाय है?